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Ekta Kumawat

Drama

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Ekta Kumawat

Drama

बातें

बातें

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आओ बैठो, बातें करे

कुछ तुम कहो, कुछ हम कहे।

चलो आज तुम ही कह लो,

मैं मुसकुराती रहूंगी

सुनती रहूंगी, समझाती रहूंगी

ग़मों को बुनकर, गुनगुनाना सिखाती रहूंगी।

चुपचाप ये रीत मैं निभाती रहूंगी।

खुशी में तुम्हारी चहचहाती रहूंगी,

दुःख में तुम्हारे पलकें झुका लिया करूंगी,

चुपचाप ये रीत मैं निभाती रहूंगी।

लेकिन कभी तुम भी समझ जाना,

कभी मेरी आँखों में पढ़कर मेरे बालों को सहलाना।

कभी मुझे हँसता देखकर तुम भी जरा सा मुसकुराना।

कभी रूठ जाऊँ तो मुझे मनाना।

गलती तुम भी बताना मगर थोड़ा हक भी जमाना।

मुझे बताना, सही राह दिखाना

रीत ये तुम भी निभाना।



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