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Ishan Dutta

Drama Others

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Ishan Dutta

Drama Others

दोराह

दोराह

1 min
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जिंदगी दोराह पे अटक सी गई है

पता नहीं क्या करूँ


कभी ये अकेलापन खाने लगता है

कभी उसी से गहरी दोस्ती भी हो जाती है


कभी लगता है हम इन पन्नों में लिख रहे है

कितने अच्छे है, कुछ नहीं पूछते

कभी लगता है कोई तो पूछे हमसे

क्यों लिख रहे हो


कभी मन करता है सोते रहे सब कुछ भूल कर

कभी नींद से उठ जाते है इस खौफ में

की कुछ जरूरी भूल तो नहीं गए


कभी बाहर की दुनिया से छुपना चाहते है अपने बिस्तर में

कभी अपने ही घर में कैद महसूस करते है


कभी मन करता है सब बोल दूं

दिल में एक भी बात का बोझ ना रहे

कभी अपने लोगों से भी

सब छुपा लेता हूँ


फिलहाल अकेला हूँ पर किसी के पास होने की चाह नहीं है

नींद है पलकों पर पर सोने से डर रहा हूँ

लिख रहा हूँ लेकिन अफसोस इन पन्नों में जान नहीं


क्या करूँ मैं?

जिंदगी दोराह में अटक सी गई है।


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