जो क़भी अपना था
जो क़भी अपना था
जो क़भी अपना था वो पराया हुआ
हम थक हार गए हैं वो बेगाना हुआ
अब चर्चे नहीं हैं महफ़िलो में मेरे
पहले मैं मशहूर था अब पुराना हुआ
गैरों से करते हैं हंस हंस के बातें वो
वो किसी की आँखों का नगीना हुआ
बदहाली में गुजर रही है ज़िंदगी ये
जो प्यार था मेरा वो अब गैराना हुआ
किस के वादे का ऐतबार करते हम
जो दस्तूर था वफ़ा का वो पुराना हुआ।
