रंग महल
रंग महल
मैंने उड़ाये है रंग मेरे प्यार के,
तू दौड़ के आजा बस जा मेरे दिल में।
मैंने सजाया है रंग महल तेरे मन में,
तू दौड़ के आजा बस जा मेरे दिल में।
रंग महल चमकाया है मैंने, नवरंगी रोशनी से,
दिवाले सजाई है मैंने, नवरंगी कांच से।
सूरत देखनी है तेरी नवरंगी कांच में,
तू दौड़ के आजा बस जा मेरे दिल में।
नवरंगी सपने में देखता हूँ, मैं तुझे प्यार से,
नवरंगी सरिता बहाता हूँ, तुझे भिगोने के लिये।
चल डूब जाते है हम नवरंगी प्यार में,
तू दौड़ के आजा बस जा मेरे दिल में।
तू अगर आ जाये तो मैं, जीवन नवरंगी बनाऊं,
प्यार के रंग में रंगकर तुझे मैं, मदहोशी में नचाऊँ।
द्वार खोला है मैंने नवरंगी महल के,
तू दौड़ के आजा बस जा मेरे दिल में।

