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Harshad Molishree

Tragedy

2  

Harshad Molishree

Tragedy

बस... कोरोना

बस... कोरोना

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हवाएं आज कल कुछ दर्द भरी हैं

कइयों के दर्द को यह ये उड़ी हैं


मौत का मौसम चल रहा है

साँसें कईयों की अटकी पड़ी हैं


बोझ बन लग रहा है जिन

लोगों को घर पर क़ैद होना


ज़िन्दगी सैकड़ों लोगों की हाथों

में तुम्हारे आ पड़ी है


तो कुछ वक्त को पिंजरे में यूं रह के देखलो

कुछ वक्त को ये दर्द सह के देख लो


आने वाले पल में बेशक खुशियां होगी

कुछ वक्त ज़िन्दगी जीने के लिए घर पर रह लो।


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