The Stamp Paper Scam, Real Story by Jayant Tinaikar, on Telgi's takedown & unveiling the scam of ₹30,000 Cr. READ NOW
The Stamp Paper Scam, Real Story by Jayant Tinaikar, on Telgi's takedown & unveiling the scam of ₹30,000 Cr. READ NOW

Harshad Molishree

Abstract

3  

Harshad Molishree

Abstract

जीना अभी बाकी है

जीना अभी बाकी है

1 min
523


गम ही गम है

खुशी भी है

मगर कम है

आसूं से आँखें नम है

हाँ होटों पर हँसी तो है पर जरा कम है

दिल में प्यार बेहद है

और दर्द के लिए अब जगह कम है

लोग तो अपने है

मगर पराये से कम नहीं है

पराये से भी नहीं

पराये भी नहीं ...

हालात थोड़ी खस्ता है

यादों का साथ पूरा बस्ता है

सहारा किसीका नहीं

मगर सबका सहारा बनता है

पाता कुछ नहीं

खोने को कुछ है ही नहीं

रोके से रुकता नहीं

छुपाने से छुपता नहीं

खूब जलालू रोशनी ये रोशन होता नहीं

सुनसान है सड़क डगर अंजान है

भीड़ मे तन्हा सही

मगर भीड़ मे, में अकेला तो ऐसा नहीं

उजाला उसको कभी भाता था

अब सिर्फ उजाले से घबराता है

अंधेरा भी कमाल है

ना उसको सताता है ना रुलाता

बेवजह ना जाने सारी रात जगाता है

साफ भी है माथे पर कुछ दाग भी है

ताक़त तो है मगर थोड़ा कमजोर भी है

लड़ना जानता है मगर लड़ाई से अनजान है

हथियार तो बहोत है मगर चलाने से घबराता है

दुवाएं भी है बददुवाएं भी है

अच्छा भी है बुरा भी है

सही भी है थोड़ा गलत भी है

यही तो जिंदगी है

अभी खत्म थोड़ी हुई है

जीना अभी बाकी भी तो है...



Rate this content
Log in

More hindi poem from Harshad Molishree

Similar hindi poem from Abstract