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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Drama Romance

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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Drama Romance

मसीहा

मसीहा

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नज़र तुम्हारी कातिल है,

वह घायल हमें बनाती हे,

कभी तो ज़ाम छलकाया करो सनम,

हम सदियों पुराने आशिक है।


चेहरे पर नकाब रखती है,

हम सूरत नहीं देख पाते है,

कभी तो चेहरा दिखाया करो सनम,

हम तुमसे मोहब्बत करते है।


गाल तुम्हारे गुलाबी है,

होंठों पे बहकते अंगारे है, 

कभी तो मधुर अल्फाज़ सुनाओ सनम,

हम तुम्हारी मोहब्बत के शायर है।


हुस्न तुम्हारा नशीला है,

हम देखकर मदहोश बन जाते है,

कभी बांहों में सिमटा करो "मुरली",

हम मोहब्बत के बड़े मसीहा है।



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