प्यार को जिसने भी दौलत बनाया..
प्यार को जिसने भी दौलत बनाया..
मत पूछना हाल मेरा कभी,
अकेली जिंदगी और रास्ता,
हम तय कर रहे है आहिस्ता
मत देखना हाल मेरा कभी।
उल्फतें तो बहुत थीं कभी,
मगर दिल न मिले कभी,
आरजू न पाने की दिल में,
तमन्ना थी कोशिश न कभी।
खैर छोड़ो खैरात तो न थी,
खैरात होती क्या गम होता,
दामन से दूर चले जाने का,
जिक्र मोहब्बत ए खैरात,
न खैरात ए मोहब्बत थी।
उल्फत हो कोई बेवफाई नहीं,
मोहब्बत हो कोई रुसवाई नहीं,
प्यार को जिसने भी दौलत बनाया,
वो न जमीं न आसमां नजर आया,