प्यार आंखों से रूह तक
प्यार आंखों से रूह तक
लाखों हजारों में कोई एक चेहरा नजर आता है।
आँखों के रास्ते जो दिल में उतर जाता है।
एक झलक देख लूँ जो उसे तो दिल को सुकूं आता है।
न देखूं जो तो बंद आँखों से भी वो ही नजर आता है।
होता है इन आँखों का कसूर सजा बेचारा दिल पाता है।
तड़फ - तड़फ के जो हर वक्त उसकी याद दिलाता है।
आँखों में सपना बन जो जाने कितने अरमान सजाता है।
खुशी हो या गम दोनों में आँखों को भिगो जाता है।
ये प्यार होता ही है ऐसा जो आँखों से सीधा
रूह में बस जाता है।

