पैसा बोलता है
पैसा बोलता है
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नाच नचाता है सबको
खेल दिखाता है सबको,
गरीब को मिलता न्याय कहाँ
यहाँ बस पैसा बोलता है !
नीयत है छोटी जिसकी
पकती है रोटी उसकी,
उन्नति कैसे हो देश की
जहाँ बस पैसा बोलता है !
मन में जब बेईमानी हो
इरादे तब तूफानी हो,
पागल बना दे इंसान को
वहाँ बस पैसा बोलता है।
पैसे की अजब कहानी है
ताकत की भी मनमानी है,
खून बन गया पानी जब
तब बस पैसा बोलता है !
पैसा सब कुछ नहीं है सपना
ये दूर करें इंसानों को,
जब अपने पास कोई नहीं
कहाँ ये पैसा बोलता है !