इंतज़ार
इंतज़ार
इंतज़ार के पल सूखी पत्तियों जैसे गिरते हैं
टहनी पर समय लटकते और लम्हें बिखरते हैं।
कोई सितम ढा रहे थे मुहब्बत की नाम पर
आज उस प्यार की कहानी सुनकर हसते हैं।
वक्त मरहम नहीं होता दिल में लगी चोट के
यादें गीले होते जाते हैं जब वक्त की ओस गिरते हैं।
रिश्तों की वजूद नहीं देखा जाता जब प्यार है
कभी हमारे लिए बेहद कीमती थे आज सस्ते हैं।
वो भी बहत कोशिश किए थे हमें गिराने की
वो मुरझा जाते हैं जब हम शाम जैसे ढलते है।
यही होता है प्यार की ताकत रिश्तों की क़ीमत
हमें रुलाने वाले आज ख़ुद हमारे आँसू देख रोते हैं।