समाज
समाज
अपना है ये सुन्दर समाज
होता है सब जिसमे काज
कभी किसी को कुछ आपत्ति
उठती है फिर बुलंद आवाज
अपना है ये सुन्दर समाज
हर कोई छेड़े अपना साज
तरह तरह के होते अंदाज
जिसकी निकल पड़ी यहां पर
उसके सर पर फिर सरताज
अपना है ये सुन्दर समाज
यहाँ सभी के अपने राज
अलग सोच है सबके आज
कोई अच्छा काम करे जो
ये पहनाए उसको ताज
अपना है ये सुन्दर समाज।