वो लम्हें
वो लम्हें
कभी कभी लगता है
उस लम्हें को जी भर के जी लूं
जो लम्हें कभी मेरे थे हीं नहीं
जो लम्हें कभी मेरे होंगे नहीं
उन लम्हों को
मेरे होने की गुजारिश कर लूं।
कभी किसी से प्यार था
की होगा पता नहीं
पर कुछ इस तरह एहसास को
अपनी दिल में ना दबाए
उन्हें आजाद कर लूं।
जो गलत फहमी है
उन्हें मुझसे प्यार है
उस गलत फहमी को
खुद के अंदर जिंदा कर लूं।
कुछ सपना सा हकीकत बुन
उसपे उनका नाम लिख दूं
कमबख्त इश्क को
बेपनाह इश्क़ में तब्दील कर लूं।
सबनमी आखों को
किसी के लिए नमी कर दूं
ये चेहरा को
उनका आइना कर लूं
कभी कभी लगता है
मैं भी बेपनाह इश्क़ कर लूं।