इतना सा
इतना सा
इतना कहां याद रहता है
इतना कौन साथ रहता है
मिले जब कोई सच्चा साथी
बिछड़ने पर भी वो हमेशा याद रहता है।
इतना कहां किसी को दर्द होता है
जब पर पीर में ही यहां सुख होता है
इतना कहां कोई रोते हुए को चुप करायें
जब यहां स्वयं ही चुप चाप रोते हुए हैं।
इतना सारा दर्द और बस इतनी सी खुशी है
एक नज़र भर दर्पण जो देखा तो छायी उदासी है
पल भर में आई याद बातें सारी जो पुरानी है
इतना दर्द फिर भी हंसी की थोड़ी लालिमा तो बिखरानी है।
इतना अवसर कहां मिले
स्वयं को सच्चा साबित करें
इतना भार है कि कौन किसका आभार प्रकट करें
स्वयं सोचें है कि स्व प्रभाव से दूसरों को प्रभावित कैसे करें।
इतना सा अहसास भरा स्नेह का मिले विश्वास
प्रेम भाव होने से कभी ना मिले कोई अभाव
इतना सा ये प्रेम पौधा है जो होगा बड़ा एक दिन
अगर नहीं सूखे तो देता है गहरी छांव शीतल।
इतना सा इंतजार और आंखें जार जार
कठोर आलम में खुद को करना है तैयार
इतना सा गम ही अगर कर गया तार तार
तूफान कठिनाइयों के में कैसे होंगे पार।
इतना कहां याद रहता है
इतना कौन साथ रहता है
मिले जब कोई सच्चा साथी
बिछड़ने पर भी वो हमेशा याद रहता।