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Dr. Poonam Verma

Classics Inspirational

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Dr. Poonam Verma

Classics Inspirational

कब तक ?

कब तक ?

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ए से जेड तक छब्बीस अक्षर को,

 पढकर और लिख-लिखकर,

 भूल गए तुम देवभाषा  के एकावन अक्षर।

 बात इतनी सी होती तो कोई बात नहीं थी।

ए से के तक विटामिन भी खूब खा-खाकर

तन _मन को तुमने क्या खूब बनाया।

बात इतनी सी होती तो कोई बात नहीं थी।

पूरे विश्व को ऊर्जा देने वाले 

सूरज की गर्मी और विटामिन डी के जवाब में ;

पानी में घोल -घोलकर ग्लूकोन डी भी खूब पिया है 

फिर भी ऊर्जा का स्तर है कम।

बात इतनी सी होती तो कोई बात नहीं थी। 

वायु  होता है ऑक्सीजन,कार्बन डाइऑक्साइड के साथ 

अन्य  गैसों का मिश्रण,

 फिर भी मिश्रित गैसों वाले वायु से

श्वसन में तुम लेते हो बस ऑक्सीजन,

  सोचो तो क्या यह सब संभव है ?

अब कहूँ तुम्हें  बात बस अब इतनी सी है।

 याद करो शरीर शुद्धि और संयम के बल पर रोगों से लड़ते थे तुम , कि उठो  मनु पुत्र  और कितना सोओगे ?

कि देखो तन से अधिक तुम्हारा

मन कमजोर हुआ है।

 सर्दी- जुकाम से भी अब तुम डरते हो। 

निर्भय करो अपने मन को योग को अपनाओ तुम, 

33 कोटि देवता भी कुछ भला ना कर पाएंगे।

सजग स्वयं के लिए अब भी ना हुए तो,

 अस्तित्वविहीन हो जाओगे।


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