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Dr. Poonam Verma

Inspirational

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Dr. Poonam Verma

Inspirational

स्वीकृति

स्वीकृति

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बैनरों, पोस्टरों विज्ञापनों और भाषणों में जब भी स्त्री अधिकार, समानता और स्वतंत्रता की बात होती है।

अक्सर यह सवाल परेशान करता है। यह स्त्री होती है, कौन ?

बेटी, प्रेमिका, पत्नी या मां ?

तुलती है, जब भी है स्त्री 

होती है, एक पलड़े में स्त्री के अनेको रूप,

 दूसरे पलड़े में होती है, अकेली मां ।

पहले पलड़े में जो भी स्त्रियां होती है। क्या सच में वह होती है ?

आदि शक्ति सती के निर्णय को पिता दक्ष ने कहां स्वीकारा था?

 हजारों स्त्रियों का उद्धार करने वाले

द्वारिकाधीश कृष्ण ने राधा के प्रेम को कहां स्वीकारा था ?

आधी रात को सोती हुई, पत्नी को छोड़कर जाने वाले

यशोधरा के समक्ष को बुद्ध ने कहाँ स्वीकारा था ?

जीवन के प्रथम बीज पोषित कर जन्म देने वाली जननी ही स्वीकारी जाती है।  

माता का अपमान विश्वामित्र का क्रोध बन गया था। 

माता की ठिठोली मीरा की दीवानगी बन गया था।

माता का कोई त्रियाचरित्र नहीं है, होता।

मातृत्व का बल सबसे बड़ा बल है होता ।

पुरुषों के पास जिस दिन मातृत्व का यह बल आ जाएगा ।

उस दिन माता भी बहिष्कृत की जाएगी।


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