सियावर रामचंद्र की जय
सियावर रामचंद्र की जय
बोलो सियावर रामचंद्र की जय,
मिथ्या है ,समाज के भय से भयभीत;
सीता के त्याग की गाथा।
कथा सुनो रामायण की ,
स्वर्ण मृग है,मायाजाल फिर भी ;
निकल पङे वन में ,
बोलो सिय प्रियवर रामचंद्र की जय।
उद्धार जानकी का करना था,
सजल नयन से याद किया प्रिया को
फिर सोचा
कहती थीं माता कमलनयन,
पूरा करने पुनश्चरण संकल्पित था मन
जब नेत्र अर्पण के लिए,
थाम लिया हाथ प्रकट होकर शक्ति ने
ऐसे इंदीवर रामचंद्र की जय।
आर्यावर्त का एकमात्र नायक हैं पुरुषोत्तम राम ,
लंकापति परदेसी रावण से युद्ध किया था।
बोलो रघुवर रामचंद्र की जय।
कौन और किसने इस धरा पर जिसने निज भार्या को इतना सम्मान दिया हो?
एक बार नहीं बार-बार बोलो
रामप्रिया के वर रामचंद्र की जय।।