मुस्कुराहट
मुस्कुराहट
नींद में मुस्कुराते मासूम नवजात की
रोम -रोम को पुलकित करने वाली मुस्कुराहट को देख मैंने जाना कि,
मुस्कुराहट की कोई वजह नहीं होती।
समुद्र से अपमानित होने पर ही नहीं नहीं,
समुद्र पर तीर चलाते हुए भी श्री राम मुस्कुराए थे।
ये पढ़ा तो मैंने जाना की, मुस्कुराहट स्थितियों पर निर्भर नहीं होती।
सूरज पूर्ण होकर भी कभी नहीं मुस्कुराता है।
अधूरा हो कर भी मुस्कुराता हूं अधूरे चांद की मुस्कुराहट ने कहा,
तो मैंने जाना मुस्कुराहट के लिए जरूरी पूर्णता नहीं होती।
श्री गणेश हो या श्री कृष्ण रुप भिन्न-भिन्न होते हुए भी प्रतिमाओं में देवी- देवता मुस्कुराते हैं।
प्रसन्नता इन मुखों पर पाकर मैंने जाना मुस्कुराहट समाहित रूप मैं नहीं होती।
जानवर खुश भी होते हैं और जानवरों में हया भी होती है।
ये फिर भी नहीं मुस्कुराते।
खोजा जो कारण तो मैंने जाना मुस्कुराहट जुड़ी आत्मा से होती है, शरीर से नहीं होती।
सावधान !
यह दौर और दशक है, करोना और मास्क का।
कब कौन सा फेज करोना का
आ जाए और मुंह पर लग जाए मास्क, पता नहीं।
अनुभव मैंने जाना लगाकर मास्क
कितना भी मुस्कुराए मास्क के भीतर की मुस्कुराहट मुस्कुराहट नहीं होती।
लेकिन फिक्र क्यों करें हम कल की।
कल किसने देखा है? पानी आंखों में होता है।
कुछ खर्च नहीं होता मुस्कुराने में,
तो आज ही मिलकर मुस्कुराते हैं।
मुस्कुराइए अच्छा लगता है।।
