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GAUTAM "रवि"

Abstract Classics Others

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GAUTAM "रवि"

Abstract Classics Others

रूह

रूह

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कुछ इस तरह वो मेरी रूह में शामिल हो गया है,

मिला कुछ नहीं मगर, सब हासिल हो गया है,


खुद को भुला बैठा हूँ मैं इस कदर,

कि तुझको भुलाना अब मुश्किल हो गया है,


अधूरा था अब तलक तेरे साथ में,

बिछड़कर तुझसे इश्क़ मेरा कामिल हो गया है,


खुशी खुशी मरता रहा हूँ मैं तो हर रोज़,

प्यार मेरा, मेरा ही कातिल हो गया है,


बातें सारी भूल गया है, भूल गया सब वादे वो,

कसमें सारी भूल गया है, भूल गया सब बातें वो,


अब याद नहीं करता वो मुझको,

कुछ इस कदर "रवि" नाकाबिल हो गया है।।


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