पैदल ही क्यों ?
पैदल ही क्यों ?
देश के विकास में जिसने अहम योगदान दिया,
आज संकट के समय क्यों उसको इस तरह छोड़ दिया ?
क्या उसको हक नहीं कि उसको भी दो वक़्त की
रोटी के साथ सुरक्षित आश्रय मिल जाता ?
वह भी देश की इस संकट की घड़ी में अपना कर्तव्य निभाता
अगर उस संक्रमण का एक कण भी उसके साथ चला गया,
तो सोचो, उस गाँव को संक्रमण से कैसे बचा पाएंगे ?
जिन आसमान को छूती इमारतों को बनाकर
वह गर्व से कहता था कि ये उसने बनाया है !
आज सब छिप गए उन बंद दरवाजों के पीछे,
और वह बेघर, चल पड़ा मीलों दूर,
अपने घर को पैदल ही ! क्यों ?
