ऑफलाइन से ऑनलाइन का सफर
ऑफलाइन से ऑनलाइन का सफर
लॉकडाउन में जन जीवन में
बड़ा बदलाव आया है,
कोरोना ने इस दुनिया को
एक नया रूप दिखाया है
यह सफर किसी के लिए आसान
तो किसी के लिए दुख गहरा है
घर से बाहर निकलना हुआ बंद
बच्चों के तन मन पर छाया अब
रेडिएशन का पहरा है
कागज कलम को भूल गए
यहाँ ऑनलाइन सब चलता है
दोस्तों यारों से मिलना बंद हुआ
ऑनलाइन का ऐसा जादू छाया
अपनों के लिए वक्त कहाँ निकलता है
साथ बैठकर हंसी ठिठोली भूल गए
अब तो स्क्रीन पर देखकर ही
अपनों से बतियाना है
जीवन इस में उलझ गया
ऑफलाइन से ऑनलाइन का जमाना है
प्यारी प्यारी आंखें जो कभी
तारों सी झिलमिलाती थी
आज उसमें लगा गया
चश्मे का ये कैसा पर्दा है
अनिद्रा, अवसाद, और कैंसर
जाने कितनी ही बीमारियों ने हमें घेरा है
ऑफलाइन से ऑनलाइन का
दुख बहुत ही गहरा है
किसको अपना दुख बताएं
चारों और करोना का पहरा है
जिनके पास है साधन
उनके पास कमी नहीं
पर उन मजदूरों को क्या,
जिनको ऑनलाइन का
क ख ग भी पता नहीं
ऑफलाइन से ऑनलाइन का सफर
उनके लिए लिए तो बेगाना है
ऑफलाइन से ऑनलाइन का ये जमाना है