ओछा चना बाजे घना।
ओछा चना बाजे घना।
एक लड़का था,
बहुत गरीब,
नौबत ये,
रोटी के भी लाले,
समझ नहीं आता,
कैसे करें,
गुजर बसर।
आखिर किस्मत खुली,
लौटरी लग गई,
रुपया पैसा हो गया,
लेकिन दिमाग में घूस गया,
सबको नौकर समझने लगा,
जो भी उसके पास आता,
सबको बताता,
मैंने रखें हुए हैं।
अच्छे अच्छे,
कुलीन व्यक्तियों से हो गई दोस्ती,
खूब रूपया पैसा,
उड़ाने लगा,
हालत ये हो गई,
पुरानी अवस्था में,
फिर पहुंच गया।
अब जो भी आता,
उसको बोलता,
भगवान ने तो,
की थी मदद,
अगर सही चलता,
तो वापस,
यहां नहीं पहुंचता।