तेरे नख़्शे कदम पर चलें सभी ,ऐ
तेरे नख़्शे कदम पर चलें सभी ,ऐ
तेरे नख़्शे कदम पर चलें सभी , ऐसी दे राह जमाने को।
जो जन्मा है उसे मरना है, फिर बचा ही क्या डर जाने को।।
मुमकिन हैं मुसीबत आएंगी, कोशिश होगी भटकाने की। तू बहक न जाना, डरना ना, कभी आँखे देख ज़माने की।। नफ़रत को किनारे कर देना, है प्यार बहुत बरसाने को...
काली घनी अँधेरी में, जुगनू भी , कोशिश करता है। दीपक जलता तारे चमकें, पर चाँद के वो दम रखता है।। दीपक चंदा और तारों से, ले नूर और फैलाने को. ...
कभी शैख़ मिलेंगे कभी ब्राहमण, मज़हब दोनों समझाएंगे। वो मस्ज़िद तो कभी बुतखाने के, फर्ज़ तुम्हें बतलाएंगे।। मानवता धर्म बड़ा सबसे है, तर्क उन्हें समझाने को।