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Dr Rekha Saxena

Fantasy

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Dr Rekha Saxena

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लम्हे ज़िंदगी के

लम्हे ज़िंदगी के

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लम्हे ज़िंदगी के  

  बड़े मजेदार हैं।  

  जीने का साधन देते   

     बड़े दमदार हैं ।। 


लम्हे ज़िंदगी के  

  काँटों का तार है।   

  चलना संभल के यारों    

        बड़े खुद्दार हैं ।। 


पहली जिनकी बारिशें  

  हाथों में हाथ लिए।   

   तिरछी चाल झुके नयन  

    कसमें खाईं साथ जीयें।। 


गिरती दीवारों को   

   जिसने उठा दिया।    

     हमने फरिश्ते को      

     दिल में बिठा लिया।। 


ढुलकते अश्कों का 

  दर्द जिसने जान लिया।   

        उसे दिल का देवता     

         जमाने ने मान लिया।।


 लम्हा ज़िन्दगी का   

 बनता संजोग है।    

श्रीकृष्ण- राधा का     

जैसा सुयोग है ।। 


कशमकश में यारों  

जीवन वियोग है।   

   अगले पिछले कर्मों से     

      बनता दैवयोग है।। 


दैवयोग ही लम्हा  

ईश को स्वीकार है।    

     अटल सत्य की       

      यही इक पुकार है ।।   

  



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