STORYMIRROR

Dr Rekha Saxena

Fantasy

4  

Dr Rekha Saxena

Fantasy

होली गीत रंग बरसे , मन हर्षे .....2

होली गीत रंग बरसे , मन हर्षे .....2

1 min
268

 लाल लगाऊँ लाड़ जताऊँ

 पीला लगा के रीति मनाऊँ

 रंग बरसे....। 


घर आंगन सब हरा होय 

तन- मन- धन सब खोय 

रंग बरसे......। 


गेहूँ चना की बाली हँसती 

ढोल बजे से वो भी झूमती

रंग बरसे......। 


ताली दे दे हँसत किसनवा 

मोर कंठ से गिर गयो हरवा

 रंग बरसे...। 


ढोल पीट मृदंग बजावे

भाग घोट कछु ऐसे चढ़ावे

रंग बरसे.....। 


गन्ना भूनें संकल्पों में 

ऐसी रहे मिठास दिलों में 

रंग बरसे....। 


होली जले चौराहों पर

प्रह्लाद भक्त की बोली पर 

रंग बरसे...। 


भक्तों की जय में हो जय 

सच्चाइयों का न हो भय 

रंग बरसे...। 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy