नाम था जिसका होलिका नाम था जिसका होलिका
जला नहीं प्रहलाद, होलिका बनी राख की ढेरी! जला नहीं प्रहलाद, होलिका बनी राख की ढेरी!
दुहराता इतिहास सदा ही अपनी बात पुरानी, दुहराता इतिहास सदा ही अपनी बात पुरानी,
हर साल मुझको जलाने का अर्थ क्या हुआ ? सोच से अपने मेरे जैसे सामर्थ सा हुआ! हर साल मुझको जलाने का अर्थ क्या हुआ ? सोच से अपने मेरे जैसे सामर्थ सा हुआ!
गेहूँ चना की बाली हँसती ढोल बजे से वो भी झूमती रंग बरसे गेहूँ चना की बाली हँसती ढोल बजे से वो भी झूमती रंग बरसे