सदा सत्य की विजय (62 )
सदा सत्य की विजय (62 )
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वरदान था भगवान का
जलेगी नहीं बहन होलिका,
पर सत्य अडिग था
साथ ले के बैठी थी,
बहन होलिका प्रह्लाद को
जला न सकी आग प्रह्लाद को,
होलिका बनी राख की ढेरी
झूठ - सत्य का अंतर होते
लगी नहीं कुछ देरी,
दुहराता इतिहास सदा ही
अपनी बात पुरानी,
सदा सत्य की विजय हुई है
गया झूठ का पानी,
मद-मस्ती में गलती ना होगी
सीख ये हम सब ले लें
पर्व आज होली का
हम सब नए रंग में खेल
