अल्फ़ाज़ो के समंदर
अल्फ़ाज़ो के समंदर
अल्फ़ाज़ों के समंदर में तन्हा डूब गया
तुमसे नज़र मिलाई तो मेरा गुरुर गया
यूँ न बैठ दिल जलाने को पास मेरे,
कुछ नहीं पास मेरे, अश्क भी छूट गया
ऐसा मिला वो सिला मुझे इस ज़िंदगी से,
जिसको भी मैंने दमन पकड़ाया वो लूट गया
मैं बहुत दूर तक चला ख्वाइशों के साथ,
पर हर कदम चलते ही मेरा सपना टूट गया
अब तिश्नगी सी ज़िंदगी और खालीपन,
रूठा समाज टूट कर मुझसे जाने किधर गया।