अब तिश्नगी सी ज़िंदगी और खालीपन, रूठा समाज टूट कर मुझसे जाने किधर गया। अब तिश्नगी सी ज़िंदगी और खालीपन, रूठा समाज टूट कर मुझसे जाने किधर गया।
कभी आसमान पर , कभी ज़मी पर चला है ज़िंदगी पानी का बुलबुला है। कभी आसमान पर , कभी ज़मी पर चला है ज़िंदगी पानी का बुलबुला है।
बताओं क्या दुनिया में कमी सी है। हर तरफ रोशनी सी है। बताओं क्या दुनिया में कमी सी है। हर तरफ रोशनी सी है।