इसी फ़िक्र में जीवन निकलेगा वो संघर्ष का दिन हर रोज़ देती है। इसी फ़िक्र में जीवन निकलेगा वो संघर्ष का दिन हर रोज़ देती है।
अब तिश्नगी सी ज़िंदगी और खालीपन, रूठा समाज टूट कर मुझसे जाने किधर गया। अब तिश्नगी सी ज़िंदगी और खालीपन, रूठा समाज टूट कर मुझसे जाने किधर गया।
पहले लोग दोस्ती और दुश्मनी खुलकर निभाते थे आजकल तो दोस्तों में भी दुश्मन पाए जाते हैं। पहले लोग दोस्ती और दुश्मनी खुलकर निभाते थे आजकल तो दोस्तों में भी दुश्मन पाए ...
थोड़ी गुजिया थोड़ी भांग पिलाओ गालों पर मॉल गुलाल लाल हो जाओ। थोड़ी गुजिया थोड़ी भांग पिलाओ गालों पर मॉल गुलाल लाल हो जाओ।
सब क्षणिक हो जाते हैं, आत्मसंतुष्टि जीवन प्रधान। सब क्षणिक हो जाते हैं, आत्मसंतुष्टि जीवन प्रधान।
कभी आसमान पर , कभी ज़मी पर चला है ज़िंदगी पानी का बुलबुला है। कभी आसमान पर , कभी ज़मी पर चला है ज़िंदगी पानी का बुलबुला है।