सब क्षणिक हो जाते हैं, आत्मसंतुष्टि जीवन प्रधान। सब क्षणिक हो जाते हैं, आत्मसंतुष्टि जीवन प्रधान।
कभी आसमान पर , कभी ज़मी पर चला है ज़िंदगी पानी का बुलबुला है। कभी आसमान पर , कभी ज़मी पर चला है ज़िंदगी पानी का बुलबुला है।
उनका नाम है श्री 'नील माधव पंडा ... वो ज़मीन पर पडी राख को, आसमां पर रखता है .. उनका नाम है श्री 'नील माधव पंडा ... वो ज़मीन पर पडी राख को, आसमां पर रखता है ....
मारो इन पर झाड़ू सुखे फूल खाली हाथ है आड़ू। मारो इन पर झाड़ू सुखे फूल खाली हाथ है आड़ू।
महफ़िलो की महफ़िल, बेफिक्र तनहा के उलट फेरो से। महफ़िलो की महफ़िल, बेफिक्र तनहा के उलट फेरो से।
हर वक्त निकल जाता है ये वक्त भी निकल जायेगा। हर वक्त निकल जाता है ये वक्त भी निकल जायेगा।