बुरे वक्त की चाल
बुरे वक्त की चाल
बुरे वक्त की चाल धीमी सही,
हर वक्त निकल जाता है
ये वक्त भी निकल जायेंगा।
माना के दुःखो की बरसात बहुत तेज,
इस बारिश में हर शैतान निकल आयेगा,
ना मेरा ये दौर कोई रोक पाया है
ना मेरा वो दौर कोई रोक पायेगा।
नकाब गिर रहे है धीरे धीरे,
सुबह चेहरा साफ नजर आयेगा।
इस प्रकृति के नियम को
ना कोई बदल पाया ना कोई बदल पायेगा।
बुरे वक्त की चाल धीमी सही,
हर वक्त निकल जाता है
ये वक्त भी निकल जायेगा।