तनहा विचार
तनहा विचार
बहुत मुश्किल होता है
किसी मंजिल को पाना,साथ निभाना,
और दो चार पत्थर होते जो मेरी राहों पर,
मुश्किल होता घर वापस आना।
पद से थोड़ा सम्मान,
कुटुम्भ से थोड़ा ज्ञान,
सब क्षणिक हो जाते हैं,
आत्मसंतुष्टि जीवन प्रधान।
