नील माधव पंडा
नील माधव पंडा
बहुत मीठे है अश्क ये यादों के ...
इन्हे बार बार चखने का मन करता है ...
कौन कहाँ इस सफर में 'माधाव' जी ...
यूँ पिछे मुडकर चलता है !
सोच आपकी शीला सी अटल ...
इतनी बेहतर सोच, आज कौन रखता है ...
हो निल कंठ के समान, निले अम्बर भी ...
यूँ ज़मीन के लोगो पर कौन मरता है !
वो कर्म का दान देना वाला है ...
वो छोटे बच्चो को बडा नाम देने वाला है ...
उनका नाम है श्री 'नील माधव पंडा ...
वो ज़मीन पर पडी राख को, आसमां पर रखता है ..
