ओ मेरे कान्हा
ओ मेरे कान्हा
सबकी चिंता करे तू मोहन,
मोहे फिकर तेरी सतावे रे !
कैसो है घनश्याम सांवरे,
मोहे कोई तो न बताये रे !
रोज लिखूँ मैं कई पंक्तियाँ,
कोई तो न पहुँचाये रे !
चिंता हो रही श्याम तेरो,
कोई हाल न समझायो रे !
दो आखर जे लिखे तू कान्हा,
तेरो कछू बिगड़ न जाये रे !
सोचत है दिन रात ये मनवा,
कोई धीर मेरो न धराये रे !
कब आओगे मेरे कन्हैया,
बरसत मेरो नैना बौराये रे !
एक संदेशा भेज दे बंशीधर,
मेरो मन न पतियाये रे !
ऐसो सुंदर छवि है तेरो,
एक पल न बिसरा जाये रे !
कर कुछ ऐसो करतब कान्हा,
पता तेरो मिल जावे रे !!
