नीली ख़्वाहिशें
नीली ख़्वाहिशें
नीले आकाश,
नीले समंदर
नीली नदी सी होती हैं,
ख़्वाहिशें,
नीले से मन के आकाश में,
बादलों के पीछे छुप जाती हैं,
ख़्वाहिशें,
कभी छू लेती हैं आकाश,
तो कभी बरसती बूँदों के साथ बरस जाती हैं,
छूती हुई उंगलियों को,
छिप जाती हैं मिट्टी में,
सोंधी सी एक खुशबू बाकी रह जाती है,
बहती हुई,
मन की चंचल नदी में,
मचलती,उफनती सी ख़्वाहिशें,
नीले समंदर में जा मिलती हैं,
कभी साहिल को छू लेती हैं,
तो कभी ख़ामोशी से गहराई में,
चुपचाप
किसी सीप के भीतर जा बैठती हैं,
कभी उस नीले आकाश,
कभी उस नीली सी नदी,
कभी उस नीले समंदर में,
गुम हो जाती हैं,
नीली ख़्वाहिशें।