क्रांतिकारी स्वातंत्र्य सेनान
क्रांतिकारी स्वातंत्र्य सेनान
वह आजादी के जंग का था दमदार किरदर,
गुजराथी बहुजन पटेलका जन-नाम सरदार.
उनके साहसी कार्य की भारत में जय-जयकार,
कॉग्रेस के मुखीयां का संभाला था पदभार.
सरदार के नेत्तृव को थी तलवार की धार,
उसी धार ने किया आझादी का बेडा पार.
आझाद भारत की संभालनी थी उसे कमान,
लेकिन उसकी किस्मत नहीं थी मेहरबान .
काश सरदार ने संभाली होती देश की कमान,
वंचित बहुजनों को मिलता न्याय व होता उत्थान.
मनुवादी के पस्त होते हौसले ,षड्यंत्र निष्प्रयोजन,
मनुवादियों के गुलामी से आझाद होते बहुजन.
आझाद भारत में आज भी ब्राम्हणी-शासन,
धार्मिक गुलामी झेल रहा हैं आज भी बहुजन.
मनु-षड्यंत्रकारीयों ने रचे हैं नयें किर्तीमान,
अघोषित गुलामी का चल रहा लोकतांत्रिक शासन.
जुनागढ,हैद्राबाद ,विद
्रोही रियासतों का लष्करीकरण,
लोह पुरुषका जन-जनने दिया था नागरिक सम्मान.
आझाद भारत में प्रथम आंतकवादी को,
संविधान के दायरे में दिया मृत्युदंड कानुन.
आय.ए.एस.,आय.पी.एस अधिकारीयों का चयन,
ताकि आम जनता को मिले वास्तविक सुशासन.
प्रशासन में सभी को मिले अवसर एकसमान,
केंद्रीय लोक-सेवा आयोग का किया था गठन.
सरदार पटेल का गुजरात था जन्मस्थान,
मुंबई में सरदार ने हृदयविकार से त्यागे प्राण.
बहुजन उत्थान की थी एकमात्र आशा की किरण,
बहुजनों ने खोया अपना कर्मठ प्रिय नेता महान.
बहुजन बैरिस्टर को मिला सर्वोच्च भारतरत्न सम्मान,
दुनियाँ में सबसे उची ,एकता की मूर्ति का किर्तिमान.
बहुजन को उनके विचारों पर चलने का लेना होगा प्रण,
क्योंकि उनके विचारों में आज भी दिखते वहीं जान?.