घर का बेलन ही सेंगूल.
घर का बेलन ही सेंगूल.
सदियों से भारत देश में अनेक विविधता,
सभी समुदायों के रूढ़ी, परंपरा में भिन्नता।
फिर भी, उन सभी में दिखती सदियों से एकता,
यहां परिवारों में नहीं दिखती एक दूजे से खिन्नता।
यहां के परिवारों में दिखती सदा जीवित संस्कृति,
परिवारों में प्रचलित हैं , ठोस जीवन पद्धति ।
घर स्वामी की पत्नी, घर की होती हैं स्त्री शक्ति
सभी बहू-बेटियों को, वह नित्य ढालती व सिंचती।
हर सास करती खुदा के सत्ता का समर्पण,
जब बहुओं का ससुराल में होता आगमन।
करा के नई दुल्हन का पाकगृह में पदार्पण,
देकर उसे, मुंह दिखाई में रसोई का बेलन।
सुखी परिवार का सेंगोल है, वह बेलन,
जो परिवार का करता रोज भरण –पोषण।
वह मातृत्व बहू को करती दिल से अर्पण
हर सास करती ऐसा , चोल वंश का निर्वाहन।
बेलन ही हैं भारतीय संस्कृति का सेंगोल,
जो बढ़ता परिवारों में निरंतर मेल-जोल।
आने नहीं देता परिवारों में गहरी दरार सेंगोल,
स्थाई परिवार ही भारतीय संस्कृति का कमाल।
विश्व में अन्य कहीं नहीं दिखाता ऐसा कमाल,
वहाँ के परिवारों में दिखाता हैं, सदा ही मलाल।
वहाँ भी होता, भारतीय राजदंड जैसा कोई सेंगोल,
विश्व परिवार में दिखाता सुकून व होता खुशहाल।