इश्क की दास्तान .
इश्क की दास्तान .
इश्क की दास्तान .
जो मेरे दिल में था,
वो मेरे आखों में भी दिखाता था।
जो तेरे दिल में था,
वो तेरे आखों में भी दिखाता था।
जो तेरे-मेरे दिल और आखों में था,
वो तुम्हें और मुझे भी दिखाई पड़ता था।
फिर भी हमारे इश्क का परचम,
लहराने में क्यों संकोच करता था।
ना मैं कभी डरपोक था,
ना तुम कभी डरपोक थी।
लेकिन प्यार का सिलसिला चलाने में,
हम दोनों को क्यों डर लगता था।
प्यार में तो कितनों को चोट मिली,
कई संभल गएं और कई डूब गएं प्रेमी।
फिर भी इश्क से कोई नहीं बच पायां,
सभी इश्क के सिकंदर बन नहीं पाएं कभी।
ना तुम कभी कमजोर थी,
ना तुम्हारा इश्क कभी कमजोर था।
ना मैं कभी कमजोर था,
ना मेरा इश्क और इरादा कमजोर था,
शायद हमारा व्यक्त ही कमजोर था।

