उम्र की सीढ़ीयां.
उम्र की सीढ़ीयां.
उम्र की सीढ़ीयां
बचपन है जिंदगी की प्रथम अहम सीढ़ी,
माता-पिता की सीखही असली शिक्षा की चाबी।
बचपन के दोस्त होते जीवनकी यथार्थ संजीवनी,
स्कूली शिक्षक है हमारी प्रथम ज्ञान की तिजोरी।
जीवन के उतार-चढ़ाव में अकसर दिखती,
सच्चे यार-दोस्तों की दिखती है कुरबानी।
जीवन नहीं होता यारोंके बिना आसान कभी,
पल-पल पर काम आती है दोस्तों की यारी।
जवानी के आगे होती है परिवार की जिम्मेदारी,
उसे निभाने में सदा होती पत्नी की हिस्सेदारी।
माता-पिता ,रिश्तेदार व दोस्तों की लगती कमी,
जब परिवार की बढ़ती रहती लगातार जिम्मेदारी।
इन सबके बाद पहुँचती है हमारी उम्र साठ,
फिर लगने लगता क्या है जीवनका मूलसच।
पता चला जिंदगी की असली उम्र तो है साठ,
इस उम्र में आदमी के होते है असली थाट।
जिसने कर ली पार जिंदगी की उम्र साठ,
उसके आगे की जिदगी में बनी रहेगी साख।
सिकंदरका ताज मिलेगा जब उम्र होगी साठ,
जीवनका रहस्य और स्वाद मिलेगां एकसाथ।
