सेंगोल .
सेंगोल .
पक्ष-विपक्ष मची थी भारी राजनैतिक दंगल,
देशवासी थे हैरान देखकर ऐसी प्रचंड हलचल।
आमजनता को बड़ा पेचीदा दिख रहा था बवाल,
क्योंकि स्थापित होना था नएं संसद में सेंगोल.
उस ऐतिहासिक राजदंड पर था सियासी बवाल,
राजनैतिक दलों का था उनका अपना ही खयाल।
वह सत्ता हस्तांतरण का था निशान अनमोल,
ऐसे सत्ताधीशों व मीडिया के थे सदा आम बोल।
गव्हर्नर लार्ड माउंट बेटन ने उठाया था सवाल,
भारतीय सत्ता हस्तांतरण क्या होगा सही हल।
नेहरु ने मांगा था राजा जी से उसका उचित हल,
राजगोपालाचारी ने चोल राजवंश का बताया सेंगोल।
लेकिन विपक्ष खोल रहा था सत्ता की सही पोल,
आजादी के वक्त नेहरु जी को दिया था वह सेंगोल.
प्रधान मंत्री ने नेहरु ने शीघ्र लौटाया था वह सेंगोल,
फिर कैसे वह होगा सत्ता हस्तांतरण का सिम्बल.
नेहरु ने संग्रहालय चुना था राजदंड का उचित स्थल,
सत्ता कहती ,वह थी प्रधानमंत्री नेहरू की बड़ी भूल।
देश के सत्ताहस्तांतर का प्रतीक खां रहा था वहाँ धूल,
शासन ने उचित सम्मान देकर लोकसभा में लगाया सेंगोल ।
नए संसद में लोकसभा सभापति के पास लगा सेंगोल,
उसी को साक्ष मानकर लोकसभा में होगी सभी हलचल।
देशवासियों की समस्या, भविष्य का निकलेगा वही हल,
विचारों, सुझाओ, कृत्यों से जन सेवक करेंगे समस्या हल।
नई संसद में नई ऊर्जा, प्रेरणा, विचारों का स्थान अव्वल,
हर कोई कर सकेगा जनहित में सत्ता से जटिल सवाल।
सबको रखना हैं ,अपने पहिले जन और लोकतंत्र खयाल।
याद रखना हैं उन्हें, संसद में विद्यमान हैं अभी सेंगोल।