नेता के वादों का पिटारा
नेता के वादों का पिटारा
देश के नए उभरते नेताने की वादों की भरमार,
आम जनता के विकास की लढाई होगी आरपार।
पिछले सरकारों के खामियों को किया उजागर,
आम जनता के सपनों का बना, वो सौदागर।
आम जनता ने किया था ,भरोसा सच मानकर,
बड़े उम्मीदों के साथ किया, सत्ता का हस्तांतर।
अच्छे दिनों का था, आम जनता को इंतजार,
चुनावी सभाओं में नेताने , किया था इकरार।
पहिले कार्य काल में, नेता की थी तकरार,
पुरानी नीतियां थी, कमजोर और बेकार।
पहिले भरणी होगी, वो पुरानी खाई आरपार,
तभी आएंगे, आपके अच्छे दिन अगले बार।
दिलेर जनताने, दिया जनादेश दूसरी बार,
विपक्ष की हुँई पहिले भी, बड़ी शर्मनाक हार।
शक्तिशाली सरकार को चढ़ा फिर अंहकार,
आम जनताने सहा, बुरे दिनों की कड़ी मार।
सौदागर बन गया था, जनता के गले फास,
जन विरोधी कार्यों से टूटी थी, जन की आस।
मंहगाई ,रोजगार राशन रक्षा और जन विकास,
इन की गिरती साख, जन की फुला रही सांस।
नेता के पिटारे के वादें, नहीं दिखा रहे थे चमत्कार,
जनता में गिरती साख का, नेता को लगा बड़ा डर।
प्रशासनिक संस्थाओं को बनायां, भ्रष्टाचार का हथियार,
लोकतंत्र व विपक्ष को मिटाने का,प्रयोग किया बार-बार।