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Rahul Dwivedi 'Smit'

Romance Fantasy Inspirational

4.9  

Rahul Dwivedi 'Smit'

Romance Fantasy Inspirational

मीत मुड़कर देख लेना

मीत मुड़कर देख लेना

1 min
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सौंप जो मुझको गए थे, क्षण कभी अनुराग के तुम..

मैं उन्हीं सुधियों के' कोमल, गीत गाता चल रहा हूँ ।

जब कभी विश्वास डोले, मीत मुड़कर देख लेना ....।।


कब भला आसान होता, आग साँसों की बुझाना ।

सागरों का नीर खारा, नित्य पीना, मुस्कुराना ।

किन्तु तुम लेकर गए थे, जो वचन उसके लिए ही,

कहकहों में आँसुओं को, मैं छिपाता चल रहा हूँ ।

जब कभी विश्वास डोले,मीत मुड़कर देख लेना ....।।


आँच पाकर कौन होगा, वृक्ष जो मुरझा न जाए।

ओस के तपते कणों से, कोपलें कैसे बचाये ।

गर्भ में ज्वालामुखी है, और बहता सुर्ख लावा,

पर सतह पर हिम नदी सा, गुनगुनाता चल रहा हूँ....।

 जब कभी विश्वास डोले, मीत मुड़कर देख लेना ....।।


कब बिना अनुमति तुम्हारी, फूल उपवन में खिला है।

प्रेरणा हो या हताशा, जो मिला तुमसे मिला है ।

बुझ गया होता प्रणय आराधना उपरांत , लेकिन

दीप हूँ संकल्प का मैं, तम मिटाता चल रहा हूँ ।

जब कभी विश्वास डोले, मीत मुड़कर देख लेना......।।


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