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GUDDU MUNERI "Sikandrabadi"

Fantasy

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GUDDU MUNERI "Sikandrabadi"

Fantasy

महिला

महिला

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वो बच्ची नहीं है अब 

अब वो बड़ी हो गई है 


खेल खिलौने रास नहीं आते 

प्यार मोहब्बत की भूखी हो गई है 


हाँ अब वो बड़ी नहीं रही 

अब वो जवान हो गई है 


देखने से ही पता लगता है 

अब वह शादी के लायक हो गई है 


हाँ वह शादी के लायक कहां 

उसकी तो शादी भी अब हो गई है 


पैरो में चुटकी, गले में मंगलसूत्र  है 

किसी आदमी की वो पत्नी हो गई है 


हाँ अब वो बड़ी भाभी बन गई है 

उस पर अब कई जिम्मेदारी हो गई है 


एक प्यारी बेटी आई है उसके 

पत्नी का फर्ज यहां तक ले आई है 


घर में खाना क्या बना है 

मेरे जूते कहां है 


मेरी कमीज कहां रखी है 

मेरी सैंडल नहीं मिल रही 


मेरी नॉट बुक मेरी पेंसिल 

मेरा बैग कहां है 


ये सब सुनते सुनते 

वो पत्नी और मां


सब के काम करती रही 

पर अपने को पीछे छोड़ आई है 


ये महिला है साहब 

जो अपनी इच्छाओं को छोड़ आई है 


अपने बीते हुए कल को 

किसी यादों में छोड़ कहीं भूल आई 



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