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GUDDU MUNERI "Sikandrabadi"

Tragedy Classics Fantasy

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GUDDU MUNERI "Sikandrabadi"

Tragedy Classics Fantasy

कौन

कौन

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न जाने कौन है वो 

जो अक्सर मुझे खत लिखती रही 


न जाने कौन है वो 

जो पीछे ही पीछे से मुझे देखती रही 


कभी मिस कॉल आना उसका 

बिना बताए तोहफा दे जाना उसका 


न जाने कौन है वो 

जो चुपके चुपके मुझे चाहती रही


गलियों और बाजारों में 

कई बार पुकारा है उसने 


न जाने कौन है वो जो 

भीड़ में आवाज लगाकर छुपती रही 


प्यार के अनदेखे चेहरे ने 

मुझे रात भर जगाया है 


न जाने कौन है वो 

जो यादों में बैठकर 

रातभर गुन गुनाती रही।


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