कौन
कौन
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न जाने कौन है वो
जो अक्सर मुझे खत लिखती रही
न जाने कौन है वो
जो पीछे ही पीछे से मुझे देखती रही
कभी मिस कॉल आना उसका
बिना बताए तोहफा दे जाना उसका
न जाने कौन है वो
जो चुपके चुपके मुझे चाहती रही
गलियों और बाजारों में
कई बार पुकारा है उसने
न जाने कौन है वो जो
भीड़ में आवाज लगाकर छुपती रही
प्यार के अनदेखे चेहरे ने
मुझे रात भर जगाया है
न जाने कौन है वो
जो यादों में बैठकर
रातभर गुन गुनाती रही।