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GUDDU MUNERI "Sikandrabadi"

Abstract Tragedy Classics

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GUDDU MUNERI "Sikandrabadi"

Abstract Tragedy Classics

शे'र और शायरी

शे'र और शायरी

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मेरे दिल से खेल मत

मैं जला तो जला दूंगा 

फिर न भुजूंगा कभी मैं 

वो जलती आग दिखा दूंगा 


तेरे अंदर जो घमंड है 

वो एक दिन चूर होगा 

देख मेरी और जरा यहां

आंखों में काहिनूर होगा 


स्याह स्याह लिखते है 

कोरा कागज रंगीन करते है 

एक मोहब्बत होती है तुमसे 

यही जुर्म संगीन करते है 


ऐसा भी क्या है दर्द में 

अकेले ही खुश हो जाता है 

बस हंसने का नाम ले लो

उसे बेतहाशा दुख हो जाता है।


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