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GUDDU MUNERI "Sikandrabadi"

Abstract

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GUDDU MUNERI "Sikandrabadi"

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पागल

पागल

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जब कभी किसी को प्यार हो जाए 

लोग उसे अक्सर प्यार में पागल बताते हैं


खुद डूबे रहते है किसी के इश्क में 

पागल होकर भी खुद को नही बताते हैं


ये गलियों में क्या आंख मिचौली सी है 

बात बार देखने जाता है उसे वो 


वो आती है खिड़की में बार बार 

बार बार ही देखकर चला जाता है वो 


देर रात तक बैठा रहेगा उसके घर के आगे 

मालूम नही पागल है अब क्या होगा आगे 


दो चार थप्पड़ और गालियां मिल ही जाती 

जब घरों के मालिक उसके पीछे पीछे भागे 


इतना तो होता है इन के साथ क्या करें

जज्बात दिल से जुड़े कि आओ प्यार करें 


क्या खूब सितम जमाने के सह लेते है 

हो जाते है पागल , कहते है प्यार करें।


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