रोटी-कपड़ा
रोटी-कपड़ा
किसी ने हल चलाया
किसी ने दुकान चलाई
दो पैसे कमाने के लिए
कितनों ने जी जान लगाई
पसीना पसीना बहाकर
दो रोटी घर में बनती है
मेहनत और मजदूरी कर
घर की गाड़ी चलती है
दो पैसे कमाए हुए हो
तो कपड़ा तन पर आएगा
जो छोड़ दोगे मेहनत का साथ
कौन भला तुम्हें खिलाएगा
कमाना भी कहां इतना आसान
रोटी कपड़ा खुद की मेहनत है
जिंदगी संघर्ष के साथ है
खाना पीना सब हैरत है