कलम
कलम
मैं तेरे दिल में उतर कर
तेरे जज़्बात लिख सकता हूं
तेरे घमंड को पहचान कर
तेरा अहंकार लिख सकता हूं
मेरी मत पूछ मेरे साखी
मैं क्या कर सकता हूं
मैं कोरे कागज को भी
रंगीन कर सकता हूं
मैं जो चाहे लिख सकता हूं
मुझे आजमा कर मत देखना
मैं बिना आजमाए ही
सब कुछ लिख सकता हूं
मेरे ख्वाहिश के मुताबिक
स्याह भरकर रखना
मैं दो कदम और
तेरी राह में चल सकता हूं
मैं कलम हूं साहब
मैं दौड़ सकता हूं
