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Yogesh Kanava

Abstract Romance Fantasy

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Yogesh Kanava

Abstract Romance Fantasy

इन नज़रों पर

इन नज़रों पर

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उसकी नज़र ए इनायत रहे नज़रों पर ,

बहुत लोगों की नज़र है इन नज़रों पर। 


नामुराद बेग़ैरत नज़रों से देखते हैं ये ,

ख़ुदा का नूर बरसा है इन नज़रों पर। 


वो जो मेरी नज़रों में बसते हैं हर पल ,

उनकी नज़रें भी हैं अब इन नज़रों पर। 


दिल-ओ -जिगर को होती रूहानी मसर्रत 

उनकी नज़रें होती हैं मेहरबान इन नज़रों पर।

 

नादान नज़रों की गुस्ताखी अब क्या कहिये 

दिल-ओ -जान क़ुर्बान हैं अब इन नज़रों पर। 

 


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