इन नज़रों पर
इन नज़रों पर
उसकी नज़र ए इनायत रहे नज़रों पर ,
बहुत लोगों की नज़र है इन नज़रों पर।
नामुराद बेग़ैरत नज़रों से देखते हैं ये ,
ख़ुदा का नूर बरसा है इन नज़रों पर।
वो जो मेरी नज़रों में बसते हैं हर पल ,
उनकी नज़रें भी हैं अब इन नज़रों पर।
दिल-ओ -जिगर को होती रूहानी मसर्रत
उनकी नज़रें होती हैं मेहरबान इन नज़रों पर।
नादान नज़रों की गुस्ताखी अब क्या कहिये
दिल-ओ -जान क़ुर्बान हैं अब इन नज़रों पर।

